हर पल किसीको अपने साथ देखती हूँ मैं
अब अचानक ही अकेले मुस्काती हूँ मैं
सोचा कभी क्या हो गया है मुझको,
तो बस उलझकर ही रह गयी हूँ मैं
क्या कहूँ, किसे कहूँ, कोई है नही सुनाने को
आजकल तो सिर्फ अपनी ही सहेली बन गयी हूँ मैं
हर राज मेरा, मुझ तक ही सिमट गया है
उसे शब्द देने में असमर्थ हो गयी हूँ मैं
हर पल चहकना तितली पकड़ना अब कहा
वो बचपन जैसे कही भूल आई हूँ मैं
सहेलियों को छोड़ अपने में सिमट सा गयी हूँ मैं
दिल की उलझनों में कभी इक पहेली बन गयी हूँ मैं
किसी पल अचानक से रोई और फिर
खुद ही खुद पे मुस्कुराती हूँ मैं
Indus
Monday, December 13, 2010
Tuesday, November 30, 2010
तो चले जाना
जरा हंस लूं फिर चले जाना
मुस्का लूं तब चले जाना
गुजरे कल को भुला लूं तो चले जाना
प्यार किया था ये भूल जायू तो चले जाना
मज़बूरी है ये तेरी मालूम है मुझे
बस इक पल तुझे अपना बना लूं फिर चले जाना
मेरे प्यार को तू समझ जाये तो चले जाना
मुस्का लूं तब चले जाना
गुजरे कल को भुला लूं तो चले जाना
प्यार किया था ये भूल जायू तो चले जाना
मज़बूरी है ये तेरी मालूम है मुझे
बस इक पल तुझे अपना बना लूं फिर चले जाना
मेरे प्यार को तू समझ जाये तो चले जाना
Wednesday, November 24, 2010
हर पल मैं मुस्काती रहती
मैं हर गम में ख़ुशी तलाशती रहती
जो मिले उसे ही गले लगाती चलती
कभी किसी को नहीं सुनती अपने गम
बस हर किसी के गम को सुनती रहती
दिल के हर गम को अकेले में बहती
बहार सबको खूब हंसाती रहती
हर कोई ईश्वर का अंश है जानती
इस लिए सबको मैं पूजते रहती
बहुत पावन है मनुष्य योनी
इसीलिए हर पल मैं मुस्काती रहती
जो मिले उसे ही गले लगाती चलती
कभी किसी को नहीं सुनती अपने गम
बस हर किसी के गम को सुनती रहती
दिल के हर गम को अकेले में बहती
बहार सबको खूब हंसाती रहती
हर कोई ईश्वर का अंश है जानती
इस लिए सबको मैं पूजते रहती
बहुत पावन है मनुष्य योनी
इसीलिए हर पल मैं मुस्काती रहती
Sunday, November 7, 2010
इक नन्ही कविता हूँ मैं
कल कल करके बहती हुई
इक गहरी सरिता हूँ मैं
सुंदर फूलों से महकती हुई
इक प्यारी वनिता हूँ मैं
अपने मन के हर सपने की
खुद ही रचिता हूँ मैं
पल में रूठू पल में मानु
ऐसी नन्ही गुडिया हूँ मैं
सामने वाले कुछ भी सोचे
अपने मन की मलिका हूँ मैं
बस दिल की बाते लिखती हूँ
नहीं मैं कोई कवित्री नहीं बस
ईश्वर द्वारा लिखी गयी
इक नन्ही कविता हूँ मैं
इक गहरी सरिता हूँ मैं
सुंदर फूलों से महकती हुई
इक प्यारी वनिता हूँ मैं
अपने मन के हर सपने की
खुद ही रचिता हूँ मैं
पल में रूठू पल में मानु
ऐसी नन्ही गुडिया हूँ मैं
सामने वाले कुछ भी सोचे
अपने मन की मलिका हूँ मैं
बस दिल की बाते लिखती हूँ
नहीं मैं कोई कवित्री नहीं बस
ईश्वर द्वारा लिखी गयी
इक नन्ही कविता हूँ मैं
Thursday, October 28, 2010
कुछ सबको आज सुनाने को दिल करता है
कुछ सबको आज सुनाने को दिल करता है
दूर तारों में मेरा भी कोई झिलमिल करता है
अपनों को छोड़ यही तारो से हिलमिल रहता है
सोच उसे हर पल मन सावन सा रिमझिम रहता है
हर पल उसके साथ बिताया बचपन रहता आँखों में,
कानो में उसकी ही आवाजे गूंजा करती हैं
वो मेरी छोटी बहन, मेरी हर पल की संगी साथी,
छोड़ मुझे, ऊपर तारों से मिलकर उनसे हिलमिल रहती है
दूर तारों में मेरा भी कोई झिलमिल करता है
अपनों को छोड़ यही तारो से हिलमिल रहता है
सोच उसे हर पल मन सावन सा रिमझिम रहता है
हर पल उसके साथ बिताया बचपन रहता आँखों में,
कानो में उसकी ही आवाजे गूंजा करती हैं
वो मेरी छोटी बहन, मेरी हर पल की संगी साथी,
छोड़ मुझे, ऊपर तारों से मिलकर उनसे हिलमिल रहती है
Monday, October 11, 2010
मैं एक नन्ही सी कविता
मैं एक नन्ही सी कविता
जो सबको खुश कर जाऊं
कभी मैं बहती सरिता
जो मन को शीतल कर जाऊं
किसी पल मैं उडती तितली
हर दिल को बहलाऊं
कभी मैं बन एक हिरनी
वन उपवन में छा जाऊं
कभी मै बनकर हसीं
सबके होठों पर मुस्काऊं
कभी बनू मै कटुता औ
आँखों से आंसू छल्काऊं
कभी बनकर ख़ुशी इक
हर जीवन को हरषाऊ
कभी लाकर लहर इक गम की
लाखो आंसू दे जाऊं
जो सबको खुश कर जाऊं
कभी मैं बहती सरिता
जो मन को शीतल कर जाऊं
किसी पल मैं उडती तितली
हर दिल को बहलाऊं
कभी मैं बन एक हिरनी
वन उपवन में छा जाऊं
कभी मै बनकर हसीं
सबके होठों पर मुस्काऊं
कभी बनू मै कटुता औ
आँखों से आंसू छल्काऊं
कभी बनकर ख़ुशी इक
हर जीवन को हरषाऊ
कभी लाकर लहर इक गम की
लाखो आंसू दे जाऊं
Thursday, September 30, 2010
कलियाँ
सुबह सुबह खिलती है कलियाँ
बनकर फूल महकती है कलियाँ
खुशबू से सबको हर्षाती है कलियाँ
मन को महका जाती है कलियाँ
दिन भर सबको खुशियाँ देकर
शाम को मुरझा जाती कलियाँ
ये दुनिया जन्नत बन जाये
अगर सभी बन जाये कलियाँ
बनकर फूल महकती है कलियाँ
खुशबू से सबको हर्षाती है कलियाँ
मन को महका जाती है कलियाँ
दिन भर सबको खुशियाँ देकर
शाम को मुरझा जाती कलियाँ
ये दुनिया जन्नत बन जाये
अगर सभी बन जाये कलियाँ
Monday, September 20, 2010
एक अनकही कहानी हूँ मैं
कभी एक बहती नदिया
कभी गहरा ताल
कभी मजबूत पहाड़िया
कभी फैला मैदान
कभी हरी भरी वादिया
कभी उजाड़ बंजर
कभी मेले की चहलकदमिया
कभी सुनसान अकेलापन
कभी हसती खेलती दुनिया
कभी आंसुयो का सैलाब
कभी हर किसी की सुनी
तो कभी एक अनकही
कहानी हूँ मैं
कभी गहरा ताल
कभी मजबूत पहाड़िया
कभी फैला मैदान
कभी हरी भरी वादिया
कभी उजाड़ बंजर
कभी मेले की चहलकदमिया
कभी सुनसान अकेलापन
कभी हसती खेलती दुनिया
कभी आंसुयो का सैलाब
कभी हर किसी की सुनी
तो कभी एक अनकही
कहानी हूँ मैं
Thursday, September 16, 2010
सोचा नहीं था
सोचा नहीं था के एक दिन मैं
अपनी रचनाये सबको सुनाउगी
अपने जीवन का हर सपना
सबको लिख के पड़ाउगी
हर पल अपने में जीने वाली
मैं सबसे यूँ मिल जाउगी
अपने जीवन का हर अनुभव
सबको यहाँ बताउगी
अपनी रचनाये सबको सुनाउगी
अपने जीवन का हर सपना
सबको लिख के पड़ाउगी
हर पल अपने में जीने वाली
मैं सबसे यूँ मिल जाउगी
अपने जीवन का हर अनुभव
सबको यहाँ बताउगी
Monday, September 13, 2010
हर सुबह नया दिन लाती है...
हर सुबह एक नया दिन लाती है
नयी सोच नया जमाना लाती है
हर किरण फूल एक खिलाती है
महकी भीनी भीनी खुशबू फैलाती है
हर सुबह नया दिन लाती है
नयी सोच नया जमाना लाती है
हर किरण फूल एक खिलाती है
महकी भीनी भीनी खुशबू फैलाती है
हर सुबह नया दिन लाती है
Saturday, September 11, 2010
परियो का देश
है दूर कही परियो का देश
नानी बताती हैं मुझे
बहुत सुंदर है परिवेश
समझती हैं मुझे
हर पल ख़ुशी का सन्देश
दे जाती हैं मुझे
हर रात नयी कहानी में
सुला देती हैं मुझे
नानी बताती हैं मुझे
बहुत सुंदर है परिवेश
समझती हैं मुझे
हर पल ख़ुशी का सन्देश
दे जाती हैं मुझे
हर रात नयी कहानी में
सुला देती हैं मुझे
Thursday, September 9, 2010
दिल की हर बात सुनाने को दिल करता है
दिल की हर बात सुनाने को दिल करता है
हर पल आज मुस्काने को दिल करता है
कुछ सुनने को तुमसे औ कुछ सुनाने को दिल करता है
पर ये शब्द अहसासों को कहा बयान कर सकते है
ये कलम लिखती है बस इसे चलने का दिल करता है
दुनिया का गम भुलाकर फिरसे एक बार
मुस्कराहट बिखराने का दिल करता है
बहुत हसीं है मौसम और प्यारी है जमीन
दूर तक नीला आसमान बस परियो की कमी है
उड़ कर ऊपर बादलो को छूने का दिल करता है
हर पल आज मुस्काने को दिल करता है
कुछ सुनने को तुमसे औ कुछ सुनाने को दिल करता है
पर ये शब्द अहसासों को कहा बयान कर सकते है
ये कलम लिखती है बस इसे चलने का दिल करता है
दुनिया का गम भुलाकर फिरसे एक बार
मुस्कराहट बिखराने का दिल करता है
बहुत हसीं है मौसम और प्यारी है जमीन
दूर तक नीला आसमान बस परियो की कमी है
उड़ कर ऊपर बादलो को छूने का दिल करता है
Ek Ankahi kahani.........
कुछ लिखना हर बार नहीं होता
दिल हर पल मेरा बेकरार नहीं होता
हो जाता है बहुत कुछ जिंदगी में
पर हर बात पर हमे ऐतबार नहीं होता
हँसने पर साथ होती है दुनिया सारी
पर रोते समय कोई साथ नहीं होता
दिल में कितना हो होंठो पर प्यार नहीं आता
क्यों बिन कहे कभी प्यार का इकरार नहीं होता
कहना बहुत कुछ चाहती हूँ उनसे पर
चाहकर भी सब कुछ बयान नहीं होता
बहुत सी बाते है दिल मेरे उनके लिए
पर जाने क्यों कभी उनसे कहा नहीं जाता
क्यों हर अहसास सिर्फ हमे ही होता है
क्यों उनका दिल मेरे लिए बेकरार नहीं होता
दिल हर पल मेरा बेकरार नहीं होता
हो जाता है बहुत कुछ जिंदगी में
पर हर बात पर हमे ऐतबार नहीं होता
हँसने पर साथ होती है दुनिया सारी
पर रोते समय कोई साथ नहीं होता
दिल में कितना हो होंठो पर प्यार नहीं आता
क्यों बिन कहे कभी प्यार का इकरार नहीं होता
कहना बहुत कुछ चाहती हूँ उनसे पर
चाहकर भी सब कुछ बयान नहीं होता
बहुत सी बाते है दिल मेरे उनके लिए
पर जाने क्यों कभी उनसे कहा नहीं जाता
क्यों हर अहसास सिर्फ हमे ही होता है
क्यों उनका दिल मेरे लिए बेकरार नहीं होता
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