Indus

Monday, October 11, 2010

मैं एक नन्ही सी कविता

मैं एक नन्ही सी कविता
जो सबको खुश कर जाऊं
कभी मैं बहती सरिता
जो मन को शीतल कर जाऊं
किसी पल मैं उडती तितली
हर दिल को बहलाऊं
कभी मैं बन एक हिरनी
वन उपवन में छा जाऊं
कभी मै बनकर हसीं
सबके होठों पर मुस्काऊं
कभी बनू मै कटुता औ
आँखों से आंसू छल्काऊं
कभी बनकर ख़ुशी इक
हर जीवन को हरषाऊ
कभी लाकर लहर इक गम की
लाखो आंसू दे जाऊं

11 comments:

  1. अंतिम पंक्तियाँ दिल को छू गयीं.... बहुत सुंदर कविता....

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  2. ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.

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  3. मन के उपजे विचार बहुत सुन्दर ढंग से पिरोये हैं

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  4. सुन्दर भावाभिव्यक्ति !

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  5. बहुत ही सुन्‍दर एवं भावमय प्रस्‍तुति ।

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  6. bahut hi bhavpravan prastuti.eksachchi kavita ka roop.
    मैं एक नन्ही सी कविता
    जो सबको खुश कर जाऊं
    कभी मैं बहती सरिता
    जो मन को शीतल कर जाऊं
    किसी पल मैं उडती तितली
    हर दिल को बहलाऊं
    कभी मैं बन एक हिरनी
    वन उपवन में छा जाऊं
    कभी मै बनकर हसीं
    सबके होठों पर मुस्काऊं
    aabhar----------------------poonam

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  7. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ...आप उपवन उपवन गुलशन गुशन छाएं..

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  8. मैं एक नन्ही सी कविता
    जो सबको खुश कर जाऊं ...


    सुंदर कविता है ....भावनाओं से भरी ....

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  9. कभी मै बनकर हसीं
    सबके होठों पर मुस्काऊं
    बस यही बने रहना। सुन्दर कविता। बधाई।

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  10. एक खूबसूरत और मासूम कविता

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