Indus

Saturday, December 29, 2012

सपने मेरी दुनिया

हर पल सपनो में रहती हूँ मैं
कल कल नदिया सी बहती हूँ मैं 
कभी बादलों में उडती हूँ और 
कभी सागर में मिलती हूँ मैं  
फूलों सी महकाऊ कभी 
कभी पूरी बगिया हूँ मैं 
खूब कभी रोती रहती हूँ 
और कभी बहुत हँसती हूँ मैं 
हर पल एक नया ख्वाब और 
नयी दुनिया सजा लेती हूँ मैं