कुछ सबको आज सुनाने को दिल करता है
दूर तारों में मेरा भी कोई झिलमिल करता है
अपनों को छोड़ यही तारो से हिलमिल रहता है
सोच उसे हर पल मन सावन सा रिमझिम रहता है
हर पल उसके साथ बिताया बचपन रहता आँखों में,
कानो में उसकी ही आवाजे गूंजा करती हैं
वो मेरी छोटी बहन, मेरी हर पल की संगी साथी,
छोड़ मुझे, ऊपर तारों से मिलकर उनसे हिलमिल रहती है
Lovely poem !
ReplyDeleteओह्! मार्मिक अभिव्यक्ति।ाब तो उम्र भर उसे सितारों मे रहना है। उसकी आत्मा को शान्ति मिले बस । दर्द भी रचना। आशीर्वाद।
ReplyDeleteउफ्फ़ क्या कहूँ अब !!!!!
ReplyDeleteaap achchhhaa likhti hain..
ReplyDeletepar aap kavitaayein utnaa achchhaa nahin likhti...
Jii Manu Jii
ReplyDeleteMai Kavitaye achhi nahi likhati par kuchh or to maine kabhi likha hi nhi to achha kaise likhungi??
मार्मिक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteवो जहाँ रहे खुश रहे .... बहुत अच्छी लगी आपकी रचना ... दिल से लिखी रचना ...
ReplyDeleteदिल से लिखी रचना ...
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