Indus

Thursday, September 30, 2010

कलियाँ

सुबह सुबह खिलती है कलियाँ
बनकर फूल महकती है कलियाँ
खुशबू से सबको हर्षाती है कलियाँ
मन को महका जाती है कलियाँ
दिन भर सबको खुशियाँ देकर
शाम को मुरझा जाती कलियाँ
ये दुनिया जन्नत बन जाये
अगर सभी बन जाये कलियाँ

5 comments:

  1. स्वागत है इन कलियों का ....!!

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  2. बहुत खूब । काश ये कलियाँ यूँ ही खिली रहें कभी न मुर्झायें। आशीर्वाद।

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  3. sachmuch aisa hi ho..... sada khili rahen ye kaliyan... bahut hi sunder

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  4. ये कलियाँ यूँ ही महकती रहें तो कितना अच्छा हो ... पर जल्दी ही ये फूल बन जाती हैं ...

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