Indus

Wednesday, January 5, 2011

हर अपना भी बेगाना हो जाता है

अपने पर विश्वास अगर हो,
इंसान सब कुछ सह जाता है
क्या अपनी नजरो से गिरकर,
कोई कही खुश रह पाता है
सपने पूरे होने जाने पर,
हर कोई खुशिया बिखराता है
टूटते हुए सपनो को देख क्यों
हर कोई मन में ही घबराता है
खुशिया मिलने पर जब इक,
अन्जान भी अपना बन जाता है
फिर कोई दुखों  से घिरने पर,
हर अपना भी बेगाना हो जाता है

13 comments:

  1. A bitter reality have been revealed beautifully in this lovely poem.

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति| धन्यवाद|

    ReplyDelete
  3. खुशिया मिलने पर जब इक,
    अन्जान भी अपना बन जाता है
    फिर कोई दुखों से घिरने पर,
    हर अपना भी बेगाना हो जाता है ...

    बहुत खूब ... सच कहा है ... समय के साथ व्यवहार बदलता रहता है ..

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर | आपकी हर पोस्ट पढ़ कर बहुत अच्छा लगा |
    आप मेरे ब्लॉग पे भी आइये आपको अपने पसंद की कुछ रचनाये मिलेंगी
    दिनेश पारीक
    http://vangaydinesh.blogspot.com/

    ReplyDelete
  5. मेरी लड़ाई Corruption के खिलाफ है आपके साथ के बिना अधूरी है आप सभी मेरे ब्लॉग को follow करके और follow कराके मेरी मिम्मत बढ़ाये, और मेरा साथ दे ..

    ReplyDelete
  6. मेरी लड़ाई Corruption के खिलाफ है आपके साथ के बिना अधूरी है आप सभी मेरे ब्लॉग को follow करके और follow कराके मेरी मिम्मत बढ़ाये, और मेरा साथ दे ..

    ReplyDelete
  7. aisa hee hota hai jeevan me .
    pahlee var hee aaee aapke blog par jan ke baad koi entry nahee....?
    swasth to hai na aap........
    yadi vyast hai to bhee kabhee kabhee blog se jude rahiye ye anurodh hai....
    aabhar

    ReplyDelete
  8. क्या अपनी नजरो से गिरकर,
    कोई कही खुश रह पाता है

    बहुत ख़ूब ! सही कहा आपने …

    शैवालिका जी
    सुंदर भावों की प्रस्तुति के लिए आभार !
    नई पोस्ट की प्रतीक्षा है …

    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

    -राजेन्द्र स्वर्णकार

    ReplyDelete
  9. ha ek baat bagane log hote nahee dukh kee ghadee me hum aisa mahsoos krte hai........

    ReplyDelete
  10. फिर कोई दुखों से घिरने पर,
    हर अपना भी बेगाना हो जाता है

    यह एक सच है।

    सादर

    ReplyDelete