अपने पर विश्वास अगर हो,
इंसान सब कुछ सह जाता है
क्या अपनी नजरो से गिरकर,
कोई कही खुश रह पाता है
सपने पूरे होने जाने पर,
हर कोई खुशिया बिखराता है
टूटते हुए सपनो को देख क्यों
हर कोई मन में ही घबराता है
खुशिया मिलने पर जब इक,
अन्जान भी अपना बन जाता है
फिर कोई दुखों से घिरने पर,
हर अपना भी बेगाना हो जाता है
bhavpuran rachna...
ReplyDeleteA bitter reality have been revealed beautifully in this lovely poem.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिब्यक्ति| धन्यवाद|
ReplyDeleteखुशिया मिलने पर जब इक,
ReplyDeleteअन्जान भी अपना बन जाता है
फिर कोई दुखों से घिरने पर,
हर अपना भी बेगाना हो जाता है ...
बहुत खूब ... सच कहा है ... समय के साथ व्यवहार बदलता रहता है ..
bahut khubsurat racna
ReplyDeletebahut achcha laga.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर | आपकी हर पोस्ट पढ़ कर बहुत अच्छा लगा |
ReplyDeleteआप मेरे ब्लॉग पे भी आइये आपको अपने पसंद की कुछ रचनाये मिलेंगी
दिनेश पारीक
http://vangaydinesh.blogspot.com/
मेरी लड़ाई Corruption के खिलाफ है आपके साथ के बिना अधूरी है आप सभी मेरे ब्लॉग को follow करके और follow कराके मेरी मिम्मत बढ़ाये, और मेरा साथ दे ..
ReplyDeleteमेरी लड़ाई Corruption के खिलाफ है आपके साथ के बिना अधूरी है आप सभी मेरे ब्लॉग को follow करके और follow कराके मेरी मिम्मत बढ़ाये, और मेरा साथ दे ..
ReplyDeleteaisa hee hota hai jeevan me .
ReplyDeletepahlee var hee aaee aapke blog par jan ke baad koi entry nahee....?
swasth to hai na aap........
yadi vyast hai to bhee kabhee kabhee blog se jude rahiye ye anurodh hai....
aabhar
क्या अपनी नजरो से गिरकर,
ReplyDeleteकोई कही खुश रह पाता है
बहुत ख़ूब ! सही कहा आपने …
शैवालिका जी
सुंदर भावों की प्रस्तुति के लिए आभार !
नई पोस्ट की प्रतीक्षा है …
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
ha ek baat bagane log hote nahee dukh kee ghadee me hum aisa mahsoos krte hai........
ReplyDeleteफिर कोई दुखों से घिरने पर,
ReplyDeleteहर अपना भी बेगाना हो जाता है
यह एक सच है।
सादर