Indus

Sunday, November 7, 2010

इक नन्ही कविता हूँ मैं

कल कल करके बहती हुई
इक गहरी सरिता हूँ मैं
सुंदर फूलों से महकती हुई
इक प्यारी वनिता हूँ मैं
अपने मन के हर सपने की
खुद ही रचिता हूँ मैं
पल में रूठू पल में मानु
ऐसी नन्ही गुडिया हूँ मैं
सामने वाले कुछ भी सोचे
अपने मन की मलिका हूँ मैं
बस दिल की बाते लिखती हूँ
नहीं मैं कोई कवित्री नहीं बस
ईश्वर द्वारा लिखी गयी
इक नन्ही कविता हूँ मैं



9 comments:

  1. .

    Hi Shivalika,

    It's a beautiful creation. As cute as you are.

    .

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  2. सुंदर शब्दों के साथ.... बहुत सुंदर अभिव्यक्ति....

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  3. ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.

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  4. आपको एवं आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें!
    बहुत ही सुन्दर और शानदार रचना ! बधाई!

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  5. बहुत प्यारी.... मासूम सी पंक्तियाँ लिखी हैं...शिवालिक जी....

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  6. नहीं मैं कोई कवित्री नहीं बस
    ईश्वर द्वारा लिखी गयी
    इक नन्ही कविता हूँ मैं .

    वाह ... बहुत सुन्दर ... सच है इश्वर की बनाई हुयी हर चीज़ कविता ही है .... लाजवाब अभिव्यक्ति ...

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  7. hi siwalikaji....bhut khubsurat kavita hai or ye line ki....अपने मन के हर सपने की
    खुद ही रचिता हूँ मैं
    पल में रूठू पल में मानु
    ऐसी नन्ही गुडिया हूँ मैं
    सामने वाले कुछ भी सोचे
    अपने मन की मलिका हूँ मैं....shi kha aapne har kisi me aaj ye feelings to hoti hai ki samne bala kucchh v samjhe..apne man ki malika hu main....sari kavitaane bhut sundar hai...good luck...plz join me...

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