कुछ अजीब सा आलम है अहसासों का
बाहर ख़ुशी के बहते पैमानों का
दिल के भीतर दर्द के सैलाबों का
वो सावन के झूलो और ठंडी फुहारों का
हर पल हँसती गाती उन बहारो का
कुछ अजीब सा आलम है अहसासों का
आज की व्यस्त जिंदगी में बेमाना
पर बीती कुछ भीगी सुहानी यादो का
वो अदरक की चाय वो भीगे हुए हम
उन गरमा गरम पकौरों का
सच कुछ अजीब सा आलम है अहसासों का