Indus

Thursday, August 25, 2011

सावन


कुछ अजीब सा आलम है अहसासों का
बाहर ख़ुशी के बहते पैमानों का
दिल के भीतर दर्द के सैलाबों का
वो सावन के झूलो और ठंडी फुहारों का
हर पल हँसती गाती उन बहारो का
कुछ अजीब सा आलम है अहसासों का
आज की व्यस्त जिंदगी में बेमाना
पर बीती कुछ भीगी सुहानी यादो का
वो अदरक की चाय वो भीगे हुए हम
उन गरमा गरम पकौरों का
सच कुछ अजीब सा आलम है अहसासों का