अपने पर विश्वास अगर हो,
इंसान सब कुछ सह जाता है
क्या अपनी नजरो से गिरकर,
कोई कही खुश रह पाता है
सपने पूरे होने जाने पर,
हर कोई खुशिया बिखराता है
टूटते हुए सपनो को देख क्यों
हर कोई मन में ही घबराता है
खुशिया मिलने पर जब इक,
अन्जान भी अपना बन जाता है
फिर कोई दुखों से घिरने पर,
हर अपना भी बेगाना हो जाता है
Indus
Wednesday, January 5, 2011
Monday, December 13, 2010
मैं
हर पल किसीको अपने साथ देखती हूँ मैं
अब अचानक ही अकेले मुस्काती हूँ मैं
सोचा कभी क्या हो गया है मुझको,
तो बस उलझकर ही रह गयी हूँ मैं
क्या कहूँ, किसे कहूँ, कोई है नही सुनाने को
आजकल तो सिर्फ अपनी ही सहेली बन गयी हूँ मैं
हर राज मेरा, मुझ तक ही सिमट गया है
उसे शब्द देने में असमर्थ हो गयी हूँ मैं
हर पल चहकना तितली पकड़ना अब कहा
वो बचपन जैसे कही भूल आई हूँ मैं
सहेलियों को छोड़ अपने में सिमट सा गयी हूँ मैं
दिल की उलझनों में कभी इक पहेली बन गयी हूँ मैं
किसी पल अचानक से रोई और फिर
खुद ही खुद पे मुस्कुराती हूँ मैं
अब अचानक ही अकेले मुस्काती हूँ मैं
सोचा कभी क्या हो गया है मुझको,
तो बस उलझकर ही रह गयी हूँ मैं
क्या कहूँ, किसे कहूँ, कोई है नही सुनाने को
आजकल तो सिर्फ अपनी ही सहेली बन गयी हूँ मैं
हर राज मेरा, मुझ तक ही सिमट गया है
उसे शब्द देने में असमर्थ हो गयी हूँ मैं
हर पल चहकना तितली पकड़ना अब कहा
वो बचपन जैसे कही भूल आई हूँ मैं
सहेलियों को छोड़ अपने में सिमट सा गयी हूँ मैं
दिल की उलझनों में कभी इक पहेली बन गयी हूँ मैं
किसी पल अचानक से रोई और फिर
खुद ही खुद पे मुस्कुराती हूँ मैं
Tuesday, November 30, 2010
तो चले जाना
जरा हंस लूं फिर चले जाना
मुस्का लूं तब चले जाना
गुजरे कल को भुला लूं तो चले जाना
प्यार किया था ये भूल जायू तो चले जाना
मज़बूरी है ये तेरी मालूम है मुझे
बस इक पल तुझे अपना बना लूं फिर चले जाना
मेरे प्यार को तू समझ जाये तो चले जाना
मुस्का लूं तब चले जाना
गुजरे कल को भुला लूं तो चले जाना
प्यार किया था ये भूल जायू तो चले जाना
मज़बूरी है ये तेरी मालूम है मुझे
बस इक पल तुझे अपना बना लूं फिर चले जाना
मेरे प्यार को तू समझ जाये तो चले जाना
Wednesday, November 24, 2010
हर पल मैं मुस्काती रहती
मैं हर गम में ख़ुशी तलाशती रहती
जो मिले उसे ही गले लगाती चलती
कभी किसी को नहीं सुनती अपने गम
बस हर किसी के गम को सुनती रहती
दिल के हर गम को अकेले में बहती
बहार सबको खूब हंसाती रहती
हर कोई ईश्वर का अंश है जानती
इस लिए सबको मैं पूजते रहती
बहुत पावन है मनुष्य योनी
इसीलिए हर पल मैं मुस्काती रहती
जो मिले उसे ही गले लगाती चलती
कभी किसी को नहीं सुनती अपने गम
बस हर किसी के गम को सुनती रहती
दिल के हर गम को अकेले में बहती
बहार सबको खूब हंसाती रहती
हर कोई ईश्वर का अंश है जानती
इस लिए सबको मैं पूजते रहती
बहुत पावन है मनुष्य योनी
इसीलिए हर पल मैं मुस्काती रहती
Sunday, November 7, 2010
इक नन्ही कविता हूँ मैं
कल कल करके बहती हुई
इक गहरी सरिता हूँ मैं
सुंदर फूलों से महकती हुई
इक प्यारी वनिता हूँ मैं
अपने मन के हर सपने की
खुद ही रचिता हूँ मैं
पल में रूठू पल में मानु
ऐसी नन्ही गुडिया हूँ मैं
सामने वाले कुछ भी सोचे
अपने मन की मलिका हूँ मैं
बस दिल की बाते लिखती हूँ
नहीं मैं कोई कवित्री नहीं बस
ईश्वर द्वारा लिखी गयी
इक नन्ही कविता हूँ मैं
इक गहरी सरिता हूँ मैं
सुंदर फूलों से महकती हुई
इक प्यारी वनिता हूँ मैं
अपने मन के हर सपने की
खुद ही रचिता हूँ मैं
पल में रूठू पल में मानु
ऐसी नन्ही गुडिया हूँ मैं
सामने वाले कुछ भी सोचे
अपने मन की मलिका हूँ मैं
बस दिल की बाते लिखती हूँ
नहीं मैं कोई कवित्री नहीं बस
ईश्वर द्वारा लिखी गयी
इक नन्ही कविता हूँ मैं
Thursday, October 28, 2010
कुछ सबको आज सुनाने को दिल करता है
कुछ सबको आज सुनाने को दिल करता है
दूर तारों में मेरा भी कोई झिलमिल करता है
अपनों को छोड़ यही तारो से हिलमिल रहता है
सोच उसे हर पल मन सावन सा रिमझिम रहता है
हर पल उसके साथ बिताया बचपन रहता आँखों में,
कानो में उसकी ही आवाजे गूंजा करती हैं
वो मेरी छोटी बहन, मेरी हर पल की संगी साथी,
छोड़ मुझे, ऊपर तारों से मिलकर उनसे हिलमिल रहती है
दूर तारों में मेरा भी कोई झिलमिल करता है
अपनों को छोड़ यही तारो से हिलमिल रहता है
सोच उसे हर पल मन सावन सा रिमझिम रहता है
हर पल उसके साथ बिताया बचपन रहता आँखों में,
कानो में उसकी ही आवाजे गूंजा करती हैं
वो मेरी छोटी बहन, मेरी हर पल की संगी साथी,
छोड़ मुझे, ऊपर तारों से मिलकर उनसे हिलमिल रहती है
Monday, October 11, 2010
मैं एक नन्ही सी कविता
मैं एक नन्ही सी कविता
जो सबको खुश कर जाऊं
कभी मैं बहती सरिता
जो मन को शीतल कर जाऊं
किसी पल मैं उडती तितली
हर दिल को बहलाऊं
कभी मैं बन एक हिरनी
वन उपवन में छा जाऊं
कभी मै बनकर हसीं
सबके होठों पर मुस्काऊं
कभी बनू मै कटुता औ
आँखों से आंसू छल्काऊं
कभी बनकर ख़ुशी इक
हर जीवन को हरषाऊ
कभी लाकर लहर इक गम की
लाखो आंसू दे जाऊं
जो सबको खुश कर जाऊं
कभी मैं बहती सरिता
जो मन को शीतल कर जाऊं
किसी पल मैं उडती तितली
हर दिल को बहलाऊं
कभी मैं बन एक हिरनी
वन उपवन में छा जाऊं
कभी मै बनकर हसीं
सबके होठों पर मुस्काऊं
कभी बनू मै कटुता औ
आँखों से आंसू छल्काऊं
कभी बनकर ख़ुशी इक
हर जीवन को हरषाऊ
कभी लाकर लहर इक गम की
लाखो आंसू दे जाऊं
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